national jagruk 2024-07-05 19:55:54
जयपुर। नेशनल इंस्टीट्यूट फार मैटेरियल साइंस के पूर्व निदेशक और स्ट्क्चरल मैटेरियल रिसर्च सेंटर के चीफ रिसर्चर डॉ.आलोक सिंह ने कहा हैं कि लीथियम उत्पादन के क्षेत्र में भारत अग्रणी हो सकता है। आरतिया पदाधिकारियों के साथ एक बैठक में उन्होंने कहा कि देश में इलेक्ट्कि वाहनों की बिक्री लगातार बढ़ रही है, इसमें जो बैटरी लगती है उसकी उम्र औसतन पांच साल होती है। इस बैटरी से रिसाईकिलिंग प्रोसेस के जरिए लीथियम का उत्पादन किया जा सकता है और भारत इसमें लीड ले सकता है। इस रिसाईकिलिंग प्रोसेस की तकनीक जापान से भारत को मिल सकती है। बैठक में विष्णु भूत, जगदीश पोद्दार, जसवंत मील, आशीष सर्राफ, कमल कंदोई, प्रेम बियाणी, अजय गुप्ता, ओ पी राजपुरोहित, दिनेश गुप्ता, सज्जन सिंह, राकेश गोयल, तरूण सारडा, सुरेश बंसल, सचिन और कैलाश शर्मा उपस्थित थे। आलोक सिंह ने बताया कि जापान एक ऐसा देश है जो तकनीकी नवाचारों, वैज्ञानिक दृष्टिकोण व टैक्नोलॉजी में अग्रणी है और विभिन्न क्षेत्रों में उनका अद्वितीय अनुभव भी है। विगत दो दशक के दौरान भारतीय आईटी विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों ने विश्व में जो ख्याति प्राप्त की है, उससे जापान बहुत प्रभावित है।
सिंह ने कहा कि भारत में तकनीकी उन्नति के लिए जापानी तकनीक और अनुसंधान उपकरणों का उपयोग करने से भारत के छात्र और वैज्ञानिकों के लिए नए दरवाजे खुलने की प्रबल संभावनाएं है, इसके द्वारा उन्हें नवीनतम प्रौद्योगिकी से परिचित होने और उसे अपनाने का मौका प्राप्त होगा। भारत और जापान का सहयोग न केवल तकनीकी उन्नति में मददगार सिद्ध होगा, बल्कि इससे दोनों देशों के छात्रों को एक बेहतर और समृद्ध भविष्य की दिशा में एक नया मार्ग प्राप्त होगा।
सिंह ने आश्वस्त किया कि जापान के साईंस काउन्सलर से इस संदर्भ में उनकी कई बार वार्ता हुई है तथा वे
बेहद उत्साहित है। यदि राजकीय और संस्थागत दोनों स्तर पर भारत एवं जापान के मध्य किसी भी प्रकार का सम्नवय स्थापित होता है तो भारतीय छात्र और वैज्ञानिकों को जापान की मदद से उनके शैक्षिक और वैज्ञानिक कौशल को मजबूत करने का सुनहरा अवसर प्राप्त होगा। इससे वे विश्वस्तरीय स्तर पर अपने क्षेत्र में नए अनुसंधान और उत्कृष्टता को प्राप्त कर सकते हैं।
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