ईरान-इजरायल तनाव का असर, भारत से उड़ानों का रूट किया गया डायवर्ट, भाड़े में हुआ इजाफा

national jagruk
2024-04-18 11:18:01

Iran-Israel Conflict: पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच भारत से यूरोप-अमरीका को आने-जाने वाली उड़ानों का जोखिम मूल्यांकन करने के निर्देश एयरलाइंस कंपनियों को दिए गए हैं। भारत के नागरिक उड्डयन मंत्रालय (Ministry Of Civil Aviation) की ओर से मंगलवार को इस संबंध में निर्देश जारी किए गए। मामले में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) भी एयरलाइंस के साथ सहयोग और बातचीत करने के साथ विदेश मंत्रालय के भी संपर्क में है। इसके साथ ही समुद्री मार्ग से कारोबार में भी नई आशंकाओं के चलते शिपिंग कंपनियों ने भाड़े के दामों में बढ़ोतरी कर दी है।ईरानी हवाई क्षेत्र पर जाने से बच रही उड़ानेंगौरतलब है कि ईरान और इजरायल के बीच युद्ध (Iran-Israel Conflict) का नया मोर्चा खुलने के बाद एयर इंडिया (Air India), विस्तारा, इंडिगो और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन्स ने पश्चिम के लिए वैकल्पिक उड़ान मार्गों का विकल्प चुना है और वे ईरानी हवाई क्षेत्र (Iranian Airspace) के ऊपर से उड़ान से बच रहे हैं। इस कारण उनकी उड़ान में लगने वाले समय में भी बढ़ोतरी हुई और उनकी लागत भी बढ़ी है।अब 45 मिनट तक ज्यादा हवा में रहती हैं उड़ानेंवैकल्पिक उड़ान मार्गों ने कुछ अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की अवधि लगभग आधे घंटे तक बढ़ा दी है। एयर इंडिया ने तो तेल अवीव (Tel Aviv) के लिए अपनी उड़ानें अस्थायी रूप से निलंबित कर दी हैं। दरअसल, वाणिज्यिक उड़ानों को नो-फ्लाई नियमों का पालन करने के लिए लंबा रास्ता अपनाना पड़ रहा है, जिससे ईंधन खर्च बढ़ रहा है। फ्लाइट ट्रैकिंग के डेटा से पता चलता है कि दिल्ली (New Delhi) और मुंबई से लंदन, पेरिस, फ्रैंकफर्ट और न्यूयॉर्क (New York) जैसे शहरों के बीच उड़ानें 13 अप्रैल के बाद से हवा में 15-45 मिनट अधिक समय बिता रही हैं। इस कारण एयरलाइंस कपंनियां इन शहरों के लिए टिकटों का किराया 10 से 20 फीसदी तक बढ़ा रही हैं।शिपिंग मार्ग भी बाधित, भाड़े में इजाफाउधर, खाड़ी क्षेत्र (Gulf Countries) में तनाव बढ़ने के बाद दक्षिण-पूर्व एशिया (भारत) से यूरोप तक आने वाले शिपिंग कंटेनर दरें पिछले साल की तुलना में पहले ही लगभग 40-50 प्रतिशत अधिक हैं। ईरान द्वारा होर्मुज की खाड़ी (Strait of Hormuz) में भी भारतीय क्रू सदस्यों वाले एक जहाज को अगवा किए जाने के बाद यह मार्ग विशेष रूप से ‘नो गो जोन’ की श्रेणी में आ गया है। गौरतलब है कि फारस की खाड़ी के मुहाने पर स्थित होर्मुज खाड़ी से दुनिया का लगभग 30% तेल व्यापार की आवाजाही होती है।

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