Health Insurance: बीमाधारकों के हक में इरडा ने कई नियमों में किए बदलाव

national jagruk
2024-04-19 05:24:45

बीमा नियामक इरडा ने बीमाधारकों के हक में हाल ही स्वास्थ्य बीमा के कई नियमों में बदलाव किए हैं। इरडा ने इंश्योरेंस क्लेम के लिए मोरेटोरियम पीरियड को घटा दिया है। वहीं प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज यानी पहले से माजूद बीमारियों के बीमा कवरेज के लिए वेटिंग पीरियड को भी घटाया गया है। पॉलिसी खरीदने के लिए अधिकतम उम्र की सीमा को भी हटाया गया है। ये ऐसे बदलाव हैं, जिससे पॉलिसीहोल्डर्स को फायदा होगा।मोरेटोरियम पीरियड घटाबीमा क्लेम के लिए मोरेटोरियम पीरियड को 8 साल से घटाकर 5 साल कर दिया गया है। अब लगातार 60 महीने तक कवरेज के बाद बीमा कंपनी ग्राहक के किसी क्लेम को नॉन-डिसक्लोजर और मिसरिप्रजेंटेशन के आधार पर रिजेक्ट नहीं कर सकतीं। सिर्फ फ्रॉड साबित होने पर ही बीमा कंपनी क्लेम रिजेक्ट कर सकती है।क्या होगा फायदा: बीमा कंपनी पॉलिसीहोल्डर के क्लेम को इस आधार पर रिजेक्ट नहीं कर सकतीं कि उसने सेहत के बारे में जानकारी छुपाई। कंपनियां डायबिटीज, हायपरटेंशन, अस्थमा जैसे बीमारियों के बारे में जानकारी नहीं देने के आधार पर क्लेम रिजेक्ट कर देती हैं। अब लागातर 5 साल प्रीमियम भरने के बाद कोई बीमा क्लेम रिजेक्ट नहीं होगा।पीईडी के लिए वेटिंग पीरियड घटापॉलिसीबाजार के बिजनेस हेड सिद्धार्थ सिंघल ने कहा, प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज (पीईडी) यानी पहले से मौजूद बीमारियों के बीमा कवरेज के लिए वेटिंग पीरियड को 4 साल से घटाकर अधिकतम 3 साल करना अच्छा कदम है।क्या होगा फायदा: इससे डायबिटीज, थाइरॉयड, हायपरटेंशन, अस्थमा जैसी क्रॉनिक बीमारियों के लिए जल्दी इंश्योरेंस कवर मिलना शुरू हो जाएगा।मैक्सिमम एज की सीमा खत्मअब तक बीमा कंपनियों के लिए 65 साल तक के व्यक्ति को रेगुलेर हेल्थ कवर ऑफर करना जरूरी था। नियमों में बदलाव कर हेल्थ पॉलिसी खरीदने के लिए मैक्सिम एज की शर्त हटा दी गई है।क्या होगा फायदा: इससे सीनियर सिटीजंस को ध्यान में रख कंपनियां पॉलिसी पेश करेंगी। अधिक कस्टमाइज्ड और इनोवेटिव हेल्थ पॉलिसीज मार्केट में आएंगी।पॉलिसी लेने से पहले 3 बातों का रखें ध्यानक्लेम सेटलमेंट: पॉलिसी लेने से पहले कंपनी के क्लेम सेटलमेंट का ट्रैक रेकॉर्ड और उसकी स्पीड देखें। तेज क्लेम सेटलमेंटके लिए पॉलिसी नियमों और शर्तों को समझें और डिजिटल इंश्योरेंस लें।वेङ्क्षटग पीरियड: कई पॉलिसी एक या दो साल के बाद पहले की बीमारियों को कवर करती हैं, जबकि कुछ कंपनियां तीन साल बाद ही उन्हें कवर करती हैं। ऐसी पॉलिसी का चयन करें जिसका वेङ्क्षटग पीरियड कम हो।इन्हें शामिल करें: पॉलिसी में परिवार के सदस्यों को शामिल करना, क्रिटिकल इलनेस और नए जमाने की सेवाएं जैसे टेलीमेडिसिन, होमकेयर जैसी चीजों को शामिल करना जरूरी है।रिन्यूअल कराते वक्त इनका ध्यान रखेंरिन्यू का समय: मौजूदा पॉलिसी रिन्यू के लिए आमतौर पर 30-दिन की छूट अवधि होती है।बीमा राशि: पॉलिसी रिन्यू करने से पहले बीमा राशि बढ़ा सकते हैं। बेस पॉलिसी के साथ टॉप-अप या सुपर टॉप-अप प्लान भी जोड़ सकते हैं।नए सदस्य जोडें: मौजूदा पॉलिसी में परिवार के नए सदस्य को जोडऩे का विकल्प भी होता है।

पोर्टेबिलिटी: वर्तमान पॉलिसी या कंपनी से संतुष्ट नहीं हैं तो इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी का विकल्प चुन सकते हैं।

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